रायगढ़, 10 अक्टूबर। एनटीपीसी का फ्लाई एश अब कोयले से भी ज्यादा ‘कीमती माल’ बन गया है। ट्रांसपोर्टरों का पूरा फोकस अब इसी काम पर है। एक बार फिर से फ्लाई एश परिवहन में कमीशन और हेराफेरी का खेल शुरू हो गया है। फर्क सिर्फ इतना है कि चेहरे बदल गए हैं, लेकिन तरीका वही पुराना है।
एनटीपीसी लारा की दो यूनिट से निकल रहा लाखों टन फ्लाई एश
एनटीपीसी लारा पावर प्लांट की दो यूनिट, प्रत्येक 800-800 मेगावाट की क्षमता से चल रही हैं। इनसे रोजाना निकल रहे फ्लाई एश के उपयोग (यूटीलाइजेशन) के लिए कंपनी ने एनएचएआई से एग्रीमेंट किया है। पहले छह कंपनियों को परिवहन का ठेका दिया गया था, लेकिन अब लोकल ट्रांसपोर्टरों के गठजोड़ (सिंडीकेट) ने इस पूरे सिस्टम को अपने कब्जे में ले लिया है।
फर्जी डिलीवरी और जीपीएस की हेराफेरी से चल रहा खेल
बिना जीपीएस के फ्लाई एश का परिवहन असंभव है, फिर भी गाड़ियां जीपीएस निकालकर दूसरे रास्तों से जा रही हैं।
प्लांट से निकली कई गाड़ियां एनएच के डिलीवरी प्वाइंट तक न जाकर रास्ते में ही फ्लाई एश डंप कर लौट आती हैं।
उदाहरण के तौर पर, एक सीजी 13 नंबर की गाड़ी एश लेकर दुर्ग के लिए रवाना होती है, लेकिन असल में वह पास के इलाके में ही एश खाली कर लौट आती है, गाड़ी का नंबर बदल दिया जाता है और उसी दिन दोबारा लोडिंग कर ली जाती है।
कुछ महीनों तक एनटीपीसी ने इस पर नियंत्रण किया था, मगर अब पुराना खेल फिर चालू हो गया है।
ठेका कंपनियों पर लोकल ट्रांसपोर्टरों का कंट्रोल
एनटीपीसी से भले ही बाहरी कंपनियों को ठेका दिया गया हो, लेकिन असल में लोकल ट्रांसपोर्टर ही गाड़ियों का संचालन कर रहे हैं।
छपोरा एश डाइक से प्रतिदिन 70 से 100 ट्रक निकलते हैं, जिनमें से कई गाड़ियों का जीपीएस बीच में ही निकाल दिया जाता है।
फ्लाई एश को आसपास के इलाकों में ही अवैध रूप से खपाया जा रहा है और अगले दिन जीपीएस को कार में रखकर दुर्ग में फर्जी रिसीविंग करवाई जा रही है।
इस तरह पर्यावरण विभाग की नजर से बचकर पूरा खेल चल रहा है।
कार्रवाई होती है तो पेनाल्टी एनटीपीसी पर आती है, जबकि फायदा सिंडीकेट उठा रहा है।
रायपुर में पकड़ी गईं बिना फिटनेस व बीमा की गाड़ियां
हाल ही में रायपुर के पास तेलीबांधा पुलिस ने एनटीपीसी एश डाइक से दुर्ग जा रही करीब 20 गाड़ियों को पकड़ा।
इनमें से कई के पास न फिटनेस थी, न बीमा, न रजिस्ट्रेशन।
ड्राइवरों के पास लाइसेंस तक नहीं मिला, गाड़ियां ओवरलोड थीं और जीपीएस भी नहीं थे।
अब ट्रांसपोर्टरों ने नया सिंडीकेट तैयार कर लिया है, जो प्रति टन कमीशन पर पूरा रैकेट चला रहा है।
पर्यावरण और साख पर असर
अवैध डंपिंग और हेराफेरी का सीधा असर एनटीपीसी की साख और पर्यावरण दोनों पर पड़ रहा है।
पर्यावरण विभाग कार्रवाई करता है, तो कंपनी की छवि पर दाग लगता है, जबकि असल जिम्मेदार लोकल सिंडीकेट बच निकलता है।